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September 2, 2024

कहां है कांटे की टक्कर, किन मुद्दों पर जबरदस्त सियासत? हरियाणा चुनाव की हर डिटेल

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Haryana Election: बात चाहे अग्निवीर की हो या फिर किसान आंदोलन की, बात चाहे रेसलरों के संघर्ष की हो या फिर जाटों की नाराजगी, हर मुद्दा सियासी है और उस पर हो रही राजनीति चरम पर है।

हरियाणा चुनाव को लेकर इस बार जबरदस्त माहौल बना हुआ है। लगातार दो बार इस राज्य में बीजेपी ने अपनी सरकार जरूर बनाई है, लेकिन अब तमाम चुनौतियां इस मुकाबले में कांग्रेस की उपस्थिति को भी मजबूत करने का काम कर रही है। मुकाबला पूरी तरह बीजेपी बनाम कांग्रेस का बना हुआ है जहां पर इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी स्थानीय पार्टी की भूमिका निभा रही हैं। इस बार चुनाव में कई ऐसे सियासी मुद्दे बन चुके हैं जो किसी भी पार्टी के लिए हार-जीत तय कर सकते हैं। बात चाहे अग्निवीर की हो या फिर किसान आंदोलन की, बात चाहे रेसलरों के संघर्ष की हो या फिर जाटों की नाराजगी, हर मुद्दा सियासी है और उस पर हो रही राजनीति चरम पर है।

हरियाणा की जब भी बात की जाती हैं, तो कुछ ऐसी सीटें जरूर रहती हैं जिन्हें हाई प्रोफाइल की कैटेगरी में रखा जा सकता है। यह वो सीटें जहां पर मुकाबला भी कड़ा रहता है और उन सीटों का नतीजा दूसरी कई आसपास की सीटों पर भी अपना प्रभाव रखता है। ऐसी ही कुछ सीटों पर नजर डालते हैं-

हरियाणा के रण में अंबाला कैंट सीट को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 1967 में अस्तित्व में इस सीट पर बीजेपी का तगड़ा जोर देखने को मिलता है। पार्टी के दिग्गज नेता अनिल विज पांच बार लगातार इसी सीट से चुनाव जीत चुके हैं। पिछली बार भी उन्होंने ही जीत का परचम लहराया था। अगर पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे की बात करें तो अंबाला कैंट सीट पर अनिल विज को 64571 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के वेदु सिंगल को 57948 वोट हासिल हुए थे। इसी तरह आईएनएलडी के चित्रा सरवारा को 52017 वोट मिले थे।

हरियाणा की लाडवा सीट भी इस बार चर्चा का विषय बनी हुई है। उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी को लेकर कहा जा रहा है कि वह इस सीट से ताल ठोक सकते हैं। अगर ऐसा हो जाता है तो इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा और दिलचस्प बन जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली बार कांग्रेस ने बीजेपी को इस सीट पर एक बड़े अंतर से हरा दिया था। लाडवा सीट की बात करें तो यह कोई बहुत पुरानी नहीं है। 2008 में परिसीमन के बाद यह अस्तित्व में आई थी। अगर 2008 में आईएनएलडी ने इस सीट से जीत का खाता खोला था तो 2014 के रण में बीजेपी के पवन सिंह ने जीत हासिल की। लेकिन 2019 आते-आते सीट पर समीकरण बदले और कांग्रेस ने इस सीट पर जीत का परचम लहरा दिया।

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