न सीट तय न दूसरी पार्टी से आए नेताओं की जगह… आखिर हरियाणा बीजेपी में क्यों है इतना कंफ्यूजन?
वरिंदर भाटिया और लिज मैथ्यू की इस खबर में पढ़िये हरियाणा बीजेपी में किस बात पर है इतना कंफ्यूजन।
हरियाणा में मतदान की तारीखों में बदलाव किया गया है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग की नई तारीख अब 5 अक्टूबर है और 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे जबकि पहले यह तारीख क्रमश: 1 और 4 अक्टूबर थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस और आप हरियाणा में गठबंधन कर चुनाव लड़ सकते हैं। इस सबके बीच राज्य में तीसरी बार सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही भाजपा हरियाणा में कमजोर स्थिति में दिख रही है।
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन, उम्मीदवारों की सूची पर रोक, उस सीट पर अनिश्चितता जहां से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ेंगे और राज्य भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली और पूर्व सांसद संजय भाटिया जैसे वरिष्ठ नेताओं का 5 अक्टूबर के विधानसभा चुनाव से बाहर होना। 10 साल की सत्ता विरोधी लहर और पुनर्जीवित कांग्रेस से जूझते हुए, भाजपा हरियाणा में कमजोर स्थिति में दिख रही है।
आंतरिक सर्वे से पता चलता है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को चुनावों में स्पष्ट बढ़त मिल रही है, जिसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहां भाजपा को पहले फायदा मिला था। सत्तारूढ़ दल एकजुट होने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के एक वर्ग ने दावा किया कि सरकार खासकर मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के खिलाफ नाराजगी एक बड़ी बाधा बन गई है।
एक भाजपा नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, ”पार्टी अभी तक लोकसभा चुनाव के नतीजों से मिले सदमे से उबर नहीं पाई है। हालांकि पार्टी सत्ता विरोधी लहर के प्रति सचेत थी पर राज्य में शीर्ष नेतृत्व में आखिरी मिनट में बदलाव हुआ था। नेतृत्व को भरोसा था कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के दम पर वह आसानी से पार पा लेगी।”