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August 20, 2024

भारत में है दुनिया का सबसे बड़ा घर, ब्रिटेन के राजमहल से 4 गुना बड़ा, मुकेश अंबानी का एंटीलिया भी इसके सामने छोटा, आम लोगों की भी एंट्री, देखें Inside Pics

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Lakshmi Vilas Palace is worlds largest residential building: वडोदरा का लक्ष्मी विलास पैलेस दुनिया की सबसे बड़ी रेजिडेंशियल बिल्डिंग है जो ब्रिटेन के राजमहल से 4 गुना बड़ी है।

Lakshmi Vilas Palace is worlds largest residential building: दुनिया में एक से बढ़कर एक बड़े अमीर हैं और इन अमीर लोगों ने अपने लिए भव्य आलीशान घर भी बनवाए हैं जो किसी राजमहल से कम नहीं हैं। इन महंगे और बड़े घरों में आज के हिसाब से सभी मॉडर्न सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं। हाल ही में हमने आपको ब्रुनेई के सुल्तान हसलसन बोल्किया के उस महल के बारे में बताया था जिसकी गुंबद समेत कई चीजें 22 कैरेट सोने से बनाई गई हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे बड़ी रेजिडेंशियल इमारत भारत में है। यह इमारत भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस शख्स मुकेश अंबानी के वर्ल्ड फेमस घर एंटीलिया (Antilia) से भी बड़ी है। आज हम आपको बताएंगे वडोदरा के जाने-माने लक्ष्मी विलास पैलेस (Lakshmi Vilas Palace) के बारे में जो दुनिया की सबसे बड़ी रेजिडेंशिल बिल्डिंग है।

गुजरात के गायकवाड़ राजपरिवार का यह घर शानदार आर्किटेक्चर और ऐतिहासिक धरोहर का एक शानदार नमूना है। 1880 में इस महल को महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने साल 1880 में बनवाया था। इस इमारत में इंडो-सारासेनिक रिवाइवल का यह मास्टरपीस एक समय दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट प्रॉपर्टी थी। मल्टी-कलर मार्बल, शानदार कलाकृतियों और फाउंटेन वाले लक्ष्मी विलास पैलेस का साइज़ बकिंघम पैलेस की तुलना में चार गुना बड़ा है।

अनुमान के मुताबिक, फिलहाल लक्ष्मी विलास पैलेस की कीमत 1,80,000 पाउंड (20 हजार करोड़ रुपये) के आसपास है। आर्किटेक्चर का यह शानदार महल फिलहाल HRH समरजीतसिंह गायकवाड़, उनकी पत्नी राधिकाराजे गायकवाड़ और उनकी दो बेटियों का घर है। लक्ष्मी विलास पैलेस का इतिहास काफी रोमांचक रहा है।

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वडोदरा में लक्ष्मी विलास पैलेस से पहले गायकवाड़ राजपरिवार महाराजा पैलेस (सरकारवाड़ा) या नज़रबाग पैलेस में रहता था। महाराजा सयाजीराव गायवाड़ III को एक बड़े घर की जरूरत महसूस हुई और उन्होंने उस वक्त के जाने-माने आर्किटेक्ट मेजर चार्ल्स मैंट के सामने उन सुविधाओं के बारे में बताया, जिनकी उन्हें जरूरत थी। हालांकि, जब यह महल बनाया जा रहा था तभी मैंट का निधन हो गया और इसके बाद आर्किटेक्ट रॉबर्ट फेलोज चिसोल्म ने उनका अधूरा काम पूरा किया।

राजमहल के अंदर भव्यता की झलक
18वीं सदी में बना यह महल अब आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस है। यहां इंटरनल टेलिफोन एक्सचेंज, एलिवेटर्स और एक कभी ना बाधित होने वाली बिजली सप्लाई है। इस महल के बाहरी हिस्से को गोल्डन स्टोन से बनाया गया है जो सोनगढ़ की खदानों से मंगाया गया था।

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