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August 27, 2024

OTT Review: सफेद चादर लाल निशान…क्या वर्जिनिटी तय करती है एक लड़की का चरित्र? इस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देखें ‘एक कोरी प्रेम कथा’

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Ek Kori Prem Katha Movie Review: समाज के कड़वे सच से रूबरू कराती फिल्म ‘एक कोरी प्रेम कथा’ को ओटीटी पर रिलीज किया गया है। फिल्म समाज की ऐसी कुप्रथा पर प्रहार करती है, जिस सोच से आज भी लोग कहीं ना कहीं पीड़ित हैं। चलिए बताते हैं इसके बारे में।

भारतीय समाज में काफी कुरितियां रही हैं, जिसकी प्रताड़ना को सिर्फ अकेले महिलाओं ने ही सहन किया है। फिर चाहे वो सती प्रथा हो या फिर कुकड़ी (वर्जिनिटी टेस्ट) जैसी कोई और अन्य कुप्रथा। इस बात का इतिहास गवाह है कि महिलाओं को अपने चरित्र का प्रमाण देना पड़ा है। खुद को निर्दोष साबित करना पड़ा है। इसकी वजह है कि भारतीय समाज में पितृसत्ता का होना। आपने देखा गया होगा कि ‘रामायण’ के अनुसार उस समय सीता को अपने चरित्र का प्रमाण देने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी तो इसी को आधार बनाकर हमारे समाज में कुछ धर्म के ठेकेदार कुप्रथाओं को सालों तक चलाते रहे है और ना जाने कितनी महिलाओं का शोषण किया है। कुछ ऐसी ही एक कुप्रथा की कहानी को फिल्म ‘एक कोरी प्रेम कथा’ में दिखाया गया है, जो समाज को आईना दिखाती है। इतना ही नहीं, लोगों के मन के संशय को भी दूर करती है।

दरअसल, चिन्मय पुरोहित के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एक कोरी प्रेम कथा’ को ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा पर स्ट्रीम किया गया है। इसमें अक्षय ओबेरॉय, खनक बुधिराजा, राज बब्बर और पूनम ढिल्लों समेत अन्य कलाकार अहम भूमिका में हैं, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय से फिल्म को और भी दमदार बना दिया है। हालांकि, इसका सब्जेक्ट अपने आप में ही दमदार और दिलोदिमाग पर अलग ही प्रभाव छोड़ने वाला है। ऐसे में चलिए बताते हैं इसके बारे में…

फिल्म ‘एक कोरी प्रेम कथा’ की कहानी में चार किरदारों की जर्नी को दिखाती है और एक अहम मुद्दे पर बात करती है। इसमें वो चार किरदार लाड सिंह (अक्षय ओबेरॉय), सभ्यता (खनक बुधिराजा), प्रधान जी (राज बब्बर) और प्रधान जी की पत्नी (पूनम ढिल्लों) हैं। कहानी इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। साथ ही समाज के उस मुद्दे पर प्रहार करती है, जिससे कहीं ना कहीं हमारा समाज ग्रसित है। इसमें उत्तर प्रदेश के एक गांव कहानी को दिखाया गया है। जहां पर लड़कियों को खुद को चरित्रवान साबित करने के लिए शादी की पहली रात को वर्जिनिटी टेस्ट देना होता है। सुहागरात के दिन लड़की के कमरे में एक सफेद चादर आती है और अगर उस पर लाल निशान होता है तो वो वर्जिनिटी टेस्ट में पास होती है अगर ऐसा नहीं होता है तो उसे दूसरे मौके के रूप में अग्रि परीक्षा से गुजरना होता है। इसी बीच पनपती है लाड सिंह उर्फ लड्डू और सभ्यता की प्रेम कहानी। अब लाड सिंह दिल का अच्छा होता है मगर इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज नहीं उठाता है। वो प्रधान जी का बेटा होता है। वहीं, सभ्यता तो उन लड़कियों की आवाज होती हैं तो खुलकर बोल नहीं पाती हैं। अब ऐसे में कहानी में सभ्यता का रोल दमदार होता है, जो एकदम बेबाक होती है और किसी से डरती नहीं है। ऐसे में अब सवाल क्या वर्जिनिटी तय करती है एक लड़की का चरित्र? का जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

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