Blog: स्पेस रिसर्च में भारत बन गया है बड़ा खिलाड़ी, ISRO की यात्रा और स्वदेशी उपलब्धियां
अंतरिक्ष अनुसंधान से प्राप्त ज्ञान का उपयोग हमारी पृथ्वी की समस्याओं के समाधान में किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान बहुत जरूरी है। पढ़ें रंजना मिश्रा का लेख।
चंद्रयान-3 का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरना भारत के लिए एक गौरवशाली क्षण था। उससे साबित हो गया कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बन चुका है। अब उस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित कर दिया गया है। अंतरिक्ष अनुसंधान ने हमें कई नई तकनीकों का विकास करने में सक्षम बनाया है। उपग्रह संचार, जीपीएस, मौसम पूर्वानुमान जैसी सुविधाएं अंतरिक्ष अनुसंधान की ही देन हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान से प्राप्त ज्ञान का उपयोग हमारी पृथ्वी की समस्याओं के समाधान में किया जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान बहुत जरूरी है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां विभिन्न देश मिलकर काम करते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा और वैश्विक समस्याओं के समाधान में मदद मिलती है। पिछले कुछ दशक में भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में असाधारण प्रगति की है। भारत का अंतरिक्ष अभियान 1962 में शुरू हुआ था, जब विक्रम साराभाई की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की गई। उसके बाद 15 अगस्त, 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई।
इसरो ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अधिक व्यापक भूमिका निभाई और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया। 1972 में अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गई और इसरो को इस विभाग के अधीन लाया गया। शुरुआती वर्षों में इसरो ने छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और राकेट प्रौद्योगिकी विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया। धीरे-धीरे, इसने अपनी क्षमतओं का विस्तार किया और अधिक जटिल अभियानों को अंजाम दिया। चंद्रमा की सतह पर भारत का पहला मिशन चंद्रयान था। 2023 में चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ कर भारत ने इतिहास रच दिया। भारत चंद्रमा पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरने वाला पहला देश बन गया है।
मंगलयान ने बहुत कम बजट में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर एक नया इतिहास रचा। हाल ही में इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य मिशन शुरू किया है। यह सूर्य के बारे में महत्त्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा और हमारे सौर मंडल की बेहतर समझ विकसित करने में मदद करेगा। इसरो ने भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आइआरएनएसएस) विकसित की है, जो भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों में सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करती है। इसने कई प्रकार के उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है, जिनमें संचार उपग्रह, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, नौवहन उपग्रह और प्रायोगिक उपग्रह शामिल हैं। इसरो ने एक साथ कई उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की क्षमता विकसित कर ली है। इससे न केवल प्रक्षेपण लागत में कमी आई है, बल्कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक में भी एक नया आयाम जुड़ा है।