IPL में पंजाब किंग्स के लिए शतक लगा चुका यह भारतीय यूएसए के मेजर क्रिकेट लीग में बना इस टीम का हेड कोच
2011 आईपीएल में पंजाब किंग्स के लिए शतक लगाने वाले इस खिलाड़ी को यूएसए की मेजर क्रिकेट लीग में इस टीम का हेड कोच बनाया गया है।
भारतीय क्रिकेटर पॉल वाल्थाटी को कभी टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका नहीं मिल पाया, लेकिन उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के दौरान आईपीएल में एक शानदार कमाल जरूर किया जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। पॉल वाल्थाटी ने साल 2011 के आईपीएल सीजन में पंजाब किंग्स के लिए नाबाद शतकीय पारी खेलते हुए 120 रन बनाए थे और ये उनके आईपीएल क्रिकेट करियर का एकमात्र शतक भी था। पॉल को अब माइनल लीग क्रिकेट में सिएटल थंडरबोल्ट्स टीम का हेड कोच नियुक्त किया गया है जो यूएसए में मेजर क्रिकेट लीग का डेवलपमेंटल टी20 टूर्नामेंट है।
40 साल के पॉल वाल्थाटी ने पिछले साल 5 फर्स्ट क्लास मैच, 4 लिस्ट ए और 34 टी20 मैच खेलने के बाद घरेलू क्रिकेट को अलविदा कह दिया था और फिर सिएटल थंडरबोल्ट्स ने एक आधिकारिक बयान जारी करके उन्हें टीम का हेड कोच बनाए जाने की घोषणा की थी। माइनर लीग क्रिकेट की इस टीम ने अपने बयान में कहा कि सिएटल थंडरबोल्ट्स ने अभी-अभी अपने लाइनअप में एक बड़ा हिटर जोड़ा है – मैदान के बाहर! हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि किंग्स इलेवन पंजाब के पूर्व सनसनी पॉल वाल्थाटी अब हमारे मुख्य कोच के रूप में हमारी टीम की कमान संभालेंगे।
पॉल वाल्थाटी के क्रिकेट करियर की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में हुई थी। उन्हें 2002 के विश्व कप के लिए भारत की अंडर-19 टीम में चुना गया था, जहाँ बांग्लादेश के खिलाफ मैच के दौरान आंख में चोट लगने से उनके क्रिकेट की जर्नी उस वक्त रुक गई थी। हालांकि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बावजूद वलथाटी ने बहुत धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया और अंत में 2006 में मुंबई के लिए लिस्ट-ए क्रिकेट में डेब्यू किया। साल 2009 में आईपीएल टीम राजस्थान ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया और ये उनके करियर का बेहतरीन पल था।
साल 2011 में वो पंजाब किंग्स के साथ जुड़ गए और इस साल उन्होंने मोहाली में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ सिर्फ 63 गेंदों पर नाबाद 120 रन बनाए और किंग्स को छह विकेट और पांच गेंदें शेष रहते 190 रन के लक्ष्य का पीछा करने में मदद की। उन्होंने 2011 के आईपीएल सीजन में 14 मैचों में 463 रन बनाए। आईपीएल में उनका सफर 2009 में शुरू हुआ था जो 2013 तक चला, लेकिन इसके बाद उन्हें खेलने का मौका नहीं मिल पाया। हालांकि साल 2011 के बाद वो अपनी सफलता को दोहराने में सफल नहीं रहे और फिर कलाई में चोट की वजह से उन्हें सर्जरी करानी पड़ी और उसके बाद उनका क्रिकेट करियर परवान नहीं चढ़ पाया।