ग्लेशियर के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, पहाड़ पर नहीं दिख रही बर्फ, ओम पर्वत से ओम गायब
पिछले दिनों पिथौरागढ़ प्रवास पर अपने मूल गांव गुंजी गईं उर्मिला सनवाल गुंज्याल ने खुलासा किया कि वे इस महीने की 16 अगस्त को ओम पर्वत के दर्शन के लिए गईं थीं। जब वे तस्वीर खींचने के लिए नाभीढांग गईं तो उन्हें ओम पर्वत पर बर्फ नजर नहीं आई और ओम गायब था जिससे वे बहुत निराशा हुईं। पढ़ें सुनील दत्त पांडेय की रिपोर्ट-
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ क्षेत्र से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते पर ओम पर्वत पड़ता है, इस ओम पर्वत से इन दिनों ओम गायब हो गया है और यह पर्वत बर्फविहीन हो गया है और काला पड़ गया है। इससे देश भर के पर्यावरणविद् और पर्यावरण वैज्ञानिक चिंतित है। बर्फ पिघलने से विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से ओम गायब हो गया है। अब यहां महज काला पहाड़ नजर आ रहा है। पर्यावरणविद और स्थानीय लोग वैश्विक तापमान में वृद्धि और उच्च हिमालयी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को इसके लिए दोषी मान रहे हैं।
पिछले दिनों पिथौरागढ़ प्रवास पर अपने मूल गांव गुंजी गईं उर्मिला सनवाल गुंज्याल ने खुलासा किया कि वे इस महीने की 16 अगस्त को ओम पर्वत के दर्शन के लिए गईं थीं। जब वे तस्वीर खींचने के लिए नाभीढांग गईं तो उन्हें ओम पर्वत पर बर्फ नजर नहीं आई और ओम गायब था जिससे वे बहुत निराशा हुईं। इस खुलासे ने पर्यावरण वैज्ञानिकों पर्यावरणविदों और प्रकृति से प्रेम करने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कुमाऊंमंडल के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील की व्यास घाटी में स्थित ओम पर्वत 5,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित नाभीढांग से ओम पर्वत के दर्शन होते हैं।
भारतीय पर्यावरण संस्थान उत्तराखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पर्यावरण एवं जंतु विज्ञान विभाग गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीडी जोशी का कहना है कि यदि इसी तरह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मनुष्यों की आवाजाही बढ़ती गई और विकास के नाम प सड़कों का जाल पहाड़ों में अंधाधुंध तरीके से बिछाया जाता रहा, निर्माण कार्य बढ़ते रहे, सुरंगे बनती रहीं और पहाड़ों को तोड़ने के लिए विस्फोट होते रहे तो एक दिन हमेशा के लिए उत्तराखंड के पहाड़ हिमखंड विहीन हो जाएंगे।
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